VMOU Paper with answer ; VMOU SO-04 Paper BA 2nd Year , vmou Sociology important question

VMOU SO-04 Paper BA 2nd Year ; vmou exam paper 2023

vmou exam paper

नमस्कार दोस्तों इस पोस्ट में VMOU BA 2nd Year के लिए समाजशास्त्र ( SO-04 , Indian Political Thinkers ) का पेपर उत्तर सहित दे रखा हैं जो जो महत्वपूर्ण प्रश्न हैं जो परीक्षा में आएंगे उन सभी को शामिल किया गया है आगे इसमे पेपर के खंड वाइज़ प्रश्न दे रखे हैं जिस भी प्रश्नों का उत्तर देखना हैं उस पर Click करे –

Section-A

प्रश्न-1.

उत्तर:-

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प्रश्न-2. ‘छात्र- असंतोष’ से आपका क्या अभिप्राय है ?

उत्तर:- ‘छात्र-असंतोष’ से मेरा अभिप्राय है कि यह एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील विषय है। छात्र-असंतोष कई कारणों से उत्पन्न हो सकता है जैसे कि पाठ्यक्रम में कमियाँ, शिक्षण विधियों में कमियाँ, संसाधनों की कमी, या व्यक्तिगत चुनौतियों से भी। छात्र-असंतोष को समाधान करना शिक्षा के क्षेत्र में सुसंगत शिक्षा वातावरण बनाने के लिए महत्वपूर्ण है, जो छात्रों की भागीदारी, प्रेरणा और समग्र शैक्षिक सफलता को बढ़ावा देता है। शैक्षिक संस्थानों को छात्रों की प्रतिक्रियाओं को सकारात्मक तरीके से सुनना और उनके प्रति अपने दृष्टिकोण को बदलकर उनके शिक्षा अनुभव को बेहतर बनाने के लिए अपने दृष्टिकोण को समायोजित करना महत्वपूर्ण है।

प्रश्न-3. सामाजिक समस्या को परिभाषित कीजिए ?

उत्तर:-सामाजिक समस्या वह अवांछनीय स्थिति है जिसे सुधारने का प्रयास किया जाता है। यदि कोई समस्या अवांछनीय तो है परन्तु समाज के सदस्य उसमें किसी प्रकार के सुधार की न तो आशा करते हैं और न ही प्रयास करते हैं तो ऐसी समस्या सामाजिक समस्या नहीं कही जाएगी। सामाजिक समस्या समाज कल्याण की धारणा से सम्बन्धित होती है।

प्रश्न-4. भारत में निरक्षरता के कोई दो कारण बताइये ?

उत्तर:- भारत में निरक्षरता के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन यहाँ पर मैं आपको दो मुख्य कारण बता रहा हूँ:

  1. आर्थिक समस्याएँ: आर्थिक दुर्बलता भारत में निरक्षरता का प्रमुख कारण है। गरीबी, बेरोजगारी, लघु और मध्यम वर्ग के परिवारों की आर्थिक समस्याएँ बच्चों की शिक्षा को बाधित करती हैं। इसके परिणामस्वरूप, कई बच्चे विद्यालय की पढ़ाई छोड़ देते हैं ताकि वे परिवार के आर्थिक सहारे में काम कर सकें।
  2. शिक्षा की अधिक उपलब्धता की कमी: भारत में कई गाँवों और छोटे शहरों में उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षा संस्थान नहीं होते हैं। इसके कारण छात्रों को अच्छी शिक्षा प्राप्त करने का अवसर नहीं मिलता है। विद्या के लिए सही संसाधनों की कमी निरक्षरता को बढ़ावा देती है।

ये दो कारण भारत में निरक्षरता की समस्या को संवादित करते हैं, और इसे समाधान करने के लिए शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता होती है।

प्रश्न-5. ‘ह्वाट इज सोशियोलॉजी’ का लेखक कौन है ?

उत्तर:- ‘ह्वाट इज सोशियोलॉजी’ पुस्तक के लेखक का नाम एलेक्स इंकलिस है।

प्रश्न-6. भारत में जनसंख्या वृद्धि के कोई दो कारण बताइए ?

उत्तर:-

  1. विवाह की सर्वव्यापकता भारत में विवाह करना एक अनिवार्य सामाजिक कर्तव्य माना जाता है। …
  2. बाल-विवाह की प्रथा भारत में विवाह की आयु भी कम है। …
  3. गर्म जलवायु हमारे देश की जलवायु गर्म है। …
  4. मृत्यु-दर में कमी …
  5. धार्मिक भावना …
  6. अशिक्षा तथा अन्धविश्वास …
  7. निम्न जीवन-स्तर …
  8. स्त्रियों की आर्थिक निर्भरता
प्रश्न-7. भ्रष्टाचार के कोई दो कारण बताइये ?

उत्तर:- भ्रष्टाचार के कारण (Causes of Corruption)

  • जनजागरूकता का अभाव
  • नैतिक मूल्यों का पतन
  • बढ़ती उपभोक्तावादी संस्कृति एवं भौतिकवाद
  • अधिक जनसंख्या
  • समाज में व्याप्त विभिन्न कुरीतियाँ
  • सामाजिक स्वीकार्यता
प्रश्न-8. ‘क्षेत्रवाद’ से आपका क्या अभिप्राय है ?

उत्तर:-क्षेत्रवाद से अभिप्राय किसी देश के उस छोटे से क्षेत्र से है जो आर्थिक ,सामाजिक आदि कारणों से अपने पृथक् अस्तित्व के लिए जागृत है। दूसरी भाषा में क्षेत्रवाद एक ऐसी अवधारणा है जो राजनीतिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और वैचारिक रूप से क्षेत्र विशेष के हितों को सर्वोपरि मानता है। भारत में क्षेत्रवाद के लिये कई कारक उत्तरदायी हैं। उदाहरण के लिये पृथक् भाषा, अलग भौगोलिक पहचान, नृजातीय पहचान, असमान विकास, धार्मिक पहचान आदि।

प्रश्न-9.

उत्तर:-

प्रश्न-10.

उत्तर:-

प्रश्न-11.

उत्तर:-

प्रश्न-12. जाति को परिभाषित कीजिए ?

उत्तर:-वास्तव में जाति मनुष्यों के अंतर्विवाही समूह या समूहों का योग है जिसका एक सामान्य नाम होता है, जिसकी सदस्यता अर्जित न होकर जन्मना प्राप्त होती है, जिसके सदस्य समान या मिलते जुलते पैतृक धंधे या धंधा करते हैं और जिसकी विभिन्न शाखाएँ समाज के अन्य समूहों की अपेक्षा एक दूसरे से अधिक निकटता का अनुभव करती हैं।

प्रश्न-13.

उत्तर:-

प्रश्न-14.

उत्तर:-

प्रश्न-15.

उत्तर:-

प्रश्न-16.

उत्तर:-

प्रश्न-17.

उत्तर:-

प्रश्न-18.

उत्तर:-

प्रश्न-19.

उत्तर:-

प्रश्न-20.

उत्तर:-

Section-B

प्रश्न-1. बाल न्यायालय के विभिन्न प्रकार्य बताइए ?

उत्तर:-बाल न्यायालय को हम किशोर न्यायालय के नाम से जानते हैं। बाल न्यायालय में कोई विशेष काम नहीं होता है इसमें सिर्फ 18 साल से कम उम्र के जो अपराधी होते हैं उसका ट्रायल इस न्यायालय में किया जाता है। जो रेगुलर न्यायालय होता है उसी की तरह ही इस न्यायालय में भी केस की सुनवाई होती है।

बाल न्यायालय, जिसे बच्चों के हक की रक्षा करने वाला महत्वपूर्ण संगठन माना जाता है, एक ऐसा स्थान है जहाँ बच्चों के अधिकारों और सुरक्षा के मामलों का समाधान किया जाता है। इस लेख में, हम इस उद्देश्य के प्रति बाल न्यायालय के विभिन्न प्रकार्यों की बहुत माहिती प्रस्तुत करेंगे जिससे कि आपको इसके महत्वपूर्ण कार्यों की समझ मिल सके और आप इसके महत्व को समझ सकें।

न्यायपालिका के सामान्य कार्य

बाल न्यायालय के पास विभिन्न प्रकार के कार्य होते हैं जो बच्चों के अधिकारों की प्रतिष्ठा करने में मदद करते हैं। इसमें बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा, उनके हितों की रक्षा और उनके द्वारा जाने जाने वाले मामलों का समाधान शामिल होता है। बाल न्यायालय ने विशेष रूप से ऐसे मामलों की प्राथमिकता दी है जो बच्चों के भविष्य को प्रभावित कर सकते हैं, चाहे वो शिक्षा, स्वास्थ्य या सुरक्षा से जुड़े हों।

उपकरण और संसाधन

बाल न्यायालय के पास विभिन्न प्रकार के उपकरण और संसाधन होते हैं जो इसके कार्यों को समर्थन प्रदान करते हैं। इसमें विशिष्ट गाइडलाइन्स, कानूनी रूपरेखा, और बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए विभिन्न प्रकार के निर्देश शामिल होते हैं। यह संसाधन बच्चों के मामलों को गंभीरता से देखने और उनके लिए उचित निर्णय देने में मदद करते हैं।

मामलों का निस्तारण

बाल न्यायालय का मुख्य उद्देश्य बच्चों के मामलों का निस्तारण करना है ताकि उनके अधिकारों की सुरक्षा और प्रतिष्ठा की जा सके। यहाँ तक कि बच्चों के खिलाफ उनके सुरक्षा और विकास को ध्यान में रखते हुए उनके मामलों का विशेष रूप से सुनवाई की जाती है।

नैतिक दायित्व और सामाजिक संबंध

बाल न्यायालय का नैतिक दायित्व और सामाजिक संबंध की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। यह सुनिश्चित करता है कि बच्चों के अधिकारों का पालन किया जाता है और उनके सामाजिक विकास को सहायता मिलती है। इसके माध्यम से बच्चों को एक सुरक्षित और प्रेरणादायक परिवेश मिलता है जो उनके विकास में मदद करता है

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प्रश्न-2. ‘भारत में जातिवाद’ पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए ?

उत्तर:-जाति प्रथा में बेटा पिता के व्यवसाय को अपनाता है , इस व्यवस्था मे पेशे के परिवर्तन की सन्भावना बहुत कम हो जाती है। जाति प्रथा से उच्च श्रेणी के मनुष्यों में शारीरिक श्रम को निम्न समझने की भावना आ गई है। विशिष्टता की भावना उत्पन्न होने के कारण प्रगति कार्य धीमी गति से होता है। भारत में जातिवाद एक गंभीर समस्या है जो हमारे समाज के विकास को रोकती है। यह विचारशीलता और सामाजिक समृद्धि को प्रभावित करके लोगों के अधिकारों की खलल डालता है। जातिवाद के कारण लोगों के बीच भाईचारे और सामाजिक समंजस्या की बजाय विभिन्न जातियों के बीच असमंजस्या और आपसी असहमति बढ़ती है। इसके अलावा, जातिवाद आर्थिक संविदान, शिक्षा और रोजगार के अवसरों को भी प्रभावित करता है, जिससे समाज के निर्माण में बाधाएँ आती हैं। भारतीय समाज को आगे बढ़ने के लिए इस अवस्था को सुधारने की आवश्यकता है और सभी लोगों को एक साथ मिलकर इस समस्या का समाधान निकालना होगा।

प्रश्न-3. निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम की विवेचना कीजिए ।

उत्तर:-किसी राष्ट्र में गरीबी को समाप्त करने के लिए किए गए आर्थिक और मानवीय कार्यों के समूह को गरीबी उन्मूलन कहा जाता है। भारत में गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों और परिवारों को भोजन, वित्तीय सहायता और बुनियादी आवश्यकताओं तक उचित पहुंच प्रदान करके देश में गरीबी की दर को कम करना चाहते हैं

निर्धनता एक ऐसी समस्या है जो आज भी हमारे समाज में मौजूद है, और इसका समाधान एक प्राथमिकता होनी चाहिए। निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम एक महत्वपूर्ण पहल है जो इस समस्या का समाधान प्रदान करने का उद्देश्य रखता है। इस लेख में, हम निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम की विवेचना करेंगे जिससे कि आपको इसके महत्वपूर्ण कार्यों की जानकारी हासिल हो सके।

निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम का उद्देश्य

निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य निर्धनता को मिटाना और गरीब और पिछड़े वर्ग के लोगों को सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाना होता है। इसके माध्यम से उन्हें शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सुविधाएँ और आवास जैसी आवश्यकताओं का समाधान प्रदान किया जाता है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें।

निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम एक समर्पित टीम द्वारा चलाया जाता है जो समाज के विभिन्न क्षेत्रों में काम करती है। इसके घटक निम्नलिखित हो सकते हैं:

1. शिक्षा

निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम शिक्षा के माध्यम से गरीब बच्चों को शिक्षित बनाने का प्रयास करता है। इसके तहत स्कूलों में मुफ्त शिक्षा प्रदान की जाती है और उन्हें उच्च शिक्षा की दिशा में मार्गदर्शन किया जाता है।

2. रोजगार

निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम रोजगार के अवसर प्रदान करने का भी प्रयास करता है। यह विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों की व्यवस्था करता है जो गरीब युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त करने में मदद करते हैं।

3. स्वास्थ्य सेवाएँ

निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम स्वास्थ्य सेवाओं के प्रदान की भी व्यवस्था करता है। यह गरीब और पिछड़े वर्ग के लोगों को मुफ्त चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करके उनकी स्वास्थ्य स्थिति में सुधार करता है।

सफलता की कहानियाँ

निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम के कई सफलता की कहानियाँ हैं जो हमें यह दिखाती हैं कि सही दिशा में कदम बढ़ाने से कितना बड़ा परिवर्तन संभव होता है। गरीब लोग अब अपने जीवन में सफलता पा रहे हैं और उनका जीवनसंगी करने के लिए उनके पास आर्थिक स्रोत भी हैं।

प्रश्न-4. भारत में निर्धनता के विभिन्न कारणों का विवेचन कीजिए ?

उत्तर:- निर्धनता, एक ऐसी समस्या है जिसका सामना भारतीय समाज को करना पड़ रहा है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति अपने आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पा रहा होता है और उसके पास सामाजिक, आर्थिक और शिक्षा से जुड़े अधिकारों की कमी होती है। इस लेख में, हम भारत में निर्धनता के विभिन्न कारणों की व्याख्या करेंगे जो हमें गूगल पर अन्य आलेख से आगे बढ़ने में मदद करेगी।

आर्थिक असमर्थता

एक मुख्य कारण जो निर्धनता का प्रमुख कारण है, वह है आर्थिक असमर्थता। भारत में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के पास आवश्यक धन की कमी होती है, जिसके कारण उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएँ और आवश्यक सुविधाएँ प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

शिक्षा की कमी

शिक्षा की कमी भी एक महत्वपूर्ण कारण है जो निर्धनता को बढ़ावा देती है। अनेक लोगों के लिए शिक्षा की अनुपलब्धता के कारण वे उच्चतम शिक्षा और विभिन्न कौशल प्राप्त नहीं कर पाते हैं, जिससे उनके लिए अच्छे पेशेवर मौके नहीं उपलब्ध हो पाते।

बेरोजगारी

बेरोजगारी भी एक ऐसा मुद्दा है जो निर्धनता को बढ़ावा देता है। युवा पीढ़ी के लिए रोजगार की अवस्था काफी चुनौतीपूर्ण है और उन्हें उचित मानव संसाधन नहीं मिल पाता है, जिससे उनका आर्थिक स्थिति मज़बूत नहीं होता है।

बच्चों की मज़दूरी

बच्चों की मज़दूरी भी एक बड़ी समस्या है जो निर्धनता को बढ़ावा देती है। कई परिवार गरीबी के कारण अपने बच्चों को काम पर भेजने के मजबूर होते हैं, जिसके कारण उनकी शिक्षा और विकास की संभावनाएँ कम हो जाती हैं।

सामाजिक असमानता

सामाजिक असमानता भी निर्धनता का मुख्य कारण है। गरीबी के कारण कई लोग सामाजिक और आर्थिक रूप से उच्च वर्ग के लोगों से पीछे रह जाते हैं, जिससे उन्हें विभिन्न अवसरों से वंचित रहना पड़ता है।

समापन

इस आलेख में, हमने देखा कि भारत में निर्धनता के कई प्रमुख कारण हैं, जो उसके विकास और समृद्धि को रोकते हैं। आर्थिक असमर्थता, शिक्षा की कमी, बेरोजगारी, बच्चों की मज़दूरी और सामाजिक असमानता इनमें से कुछ मुख्य कारण हैं। इस समस्या का समाधान उच्चतम शिक्षा, रोजगार के अवसर, और सामाजिक समानता को प्रोत्साहित करने में ही है।

प्रश्न-5. असमानता के मूल आधारों की विवेचना कीजिए ?

उत्तर:- हम समाज में असमानता के विषय में बात करते हैं, तो यह एक महत्वपूर्ण विषय है जो हमारे समाज के विकास और समृद्धि को रोक सकता है। असमानता का मतलब होता है व्यक्तिगत, सामाजिक और आर्थिक स्तरों पर समान अवसरों की अभावना या असमान व्यवस्था की परिस्थिति। इस लेख में, हम असमानता के मूल आधारों की विवेचना करेंगे जो हमें गूगल पर दिए गए आलेख को प्रबलतर बनाने में मदद करेगा।

शिक्षा का अभाव

एक मुख्य कारण जो असमानता के मूल आधारों में से एक है, वह है शिक्षा का अभाव। हमारे समाज में शिक्षा की अनधिकृत वितरण की वजह से कई लोग उच्च शिक्षा से वंचित रहते हैं। यह विभिन्न विभागों में जैसे कि गांवों और छोटे शहरों में अधिक दिखाई देता है, जहाँ शिक्षा की अनुपलब्धता के कारण लोग अपने प्रतिस्पर्धात्मक पोटेंशियल को पूरी तरह से नहीं विकसित कर पाते हैं।

आर्थिक असमानता

आर्थिक असमानता भी एक महत्वपूर्ण कारण है जो असमानता के मूल आधारों को बढ़ावा देता है। समाज में विभाजन के कारण कुछ लोग संसाधनों के पास ज्यादा होते हैं जबकि कुछ लोग बहुत कम। इससे उन्हें समाज में समानता की अभिवादना नहीं मिल पाती है और वे आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं।

जातिवाद और धर्मिक भेदभाव

जातिवाद और धर्मिक भेदभाव भी असमानता के मूल आधारों में से एक हैं। हमारे समाज में जाति और धर्म के आधार पर लोगों के सामाजिक स्थान और अधिकार तय किए जाते हैं, जिससे कुछ लोग उन अधिकारों से वंचित रहते हैं जो उन्हें उनके विकास में सहायक हो सकते हैं।

लिंग, जाति और जेंडर भेदभाव

लिंग, जाति और जेंडर भेदभाव भी एक महत्वपूर्ण कारण है जो समाज में असमानता को बढ़ावा देता है। महिलाओं को आधिकारिक रूप से पुरुषों के साथ बराबरी का स्थान नहीं मिल पाता है और उन्हें कई क्षेत्रों में कम अवसर मिलते हैं।

प्रश्न-6. अपराध की समाजशास्त्रीय अवधारणा की व्याख्या कीजिए ?

उत्तर:-

प्रश्न-7.

उत्तर:-

प्रश्न-8.

उत्तर:-

प्रश्न-9. व्यक्तिगत विचलन पर एक टिप्पणी लिखिए ?

उत्तर:-यह सिद्धांत बताता है कि जब किसी व्यक्ति को किसी विशेष समूह का होने के कारण अपराधी के रूप में लेबल किया जाता है तो समाज को उस व्यक्ति के साथ खराब व्यवहार कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप व्यक्ति विचलित हो जाता है

व्यक्तिगत विचलन एक महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण विषय है जो हमारे समाज में आजकल बहुत महत्वपूर्ण हो गया है। यह विषय मानवीय अधिकारों, मानवता के मूल्यों, और समाज की सामाजिक संरचना पर सीधा प्रभाव डालता है। यह आवश्यक है कि हम इस विचलन के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाएं और समाज में जागरूकता पैदा करें ताकि हम समस्याओं का समाधान कर सकें।

व्यक्तिगत विचलन का मतलब होता है व्यक्ति के व्यक्तिगत या व्यक्तिगतता के कारण किसी के प्रति आपत्ति या असहमति का अभिवादन करना। यह आवाज़ की स्वतंत्रता, सोच की विविधता, और मतभेदों की समृद्धि के महत्व को प्रतिष्ठित करता है, परंतु यह बहुत से समयों में संघर्षों और तनाव के कारण भी बन सकता है।

व्यक्तिगत विचलन समाज में विभिन्न रूपों में प्रकट हो सकता है, जैसे कि धर्म, जाति, लिंग, समलैंगिकता, राजनीति, और आर्थिक विचलन। यह विचलन समाज की सामाजिक संरचना और अवस्था को प्रभावित कर सकता है और उसकी एकता और एकाग्रता को खतरे में डाल सकता है।

हमें यह समझना आवश्यक है कि हर व्यक्ति का अपना दृष्टिकोण और मत होता है, और व्यक्तिगत विचलन उसके मौलिक अधिकारों का हिस्सा है। हमें समाज में सभी को समान दर्जा और मौका देने की आवश्यकता है ताकि हम विभिन्नता को समृद्धि में बदल सकें।

व्यक्तिगत विचलन से बचने के लिए हमें समझदारी से बातचीत करनी चाहिए, और अलग-अलग मतों की समीक्षा करनी चाहिए। हमें आपसी समझदारी और सहमति की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए ताकि हम समाज में सद्भाव और शांति की भावना को बढ़ावा दे सकें

प्रश्न-10. संगठित क्षेत्र के श्रमिकों की समस्याओं का वर्णन कीजिए ?

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प्रश्न-11.

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प्रश्न-12.

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प्रश्न-16.

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Section-C

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प्रश्न-6.

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प्रश्न-7.

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