- दैनिक पाठ योजना के बारे सारी जानकारी इस पोस्ट में दे रखी हैं , नीचे दी गई Table of Contents से आप सीधे उसी बिन्दु के बारे में जानकारी देख सकते हो-
Table of Contents
6. पाठ योजना कैसे बनाए
- समय अनुमानन: सबसे पहले, अपने पाठ के विभिन्न बिन्दुओं के लिए आपके पास कितना समय उपलब्ध है, इसे अनुमानित करें।
- प्राथमिकताएँ सेट करें: प्राथमिकताओं की बुनाई करें, जैसे कि किन पाठों को कितने समय देना है।
- अध्ययन समय आवंटित करें: अब, विभिन्न पाठों के लिए अध्ययन के लिए समय अलग-अलग करें।
- पाठ के लक्ष्य सेट करें: प्रत्येक पाठ के लिए आपके पास क्या-क्या लक्ष्य हैं, यह निर्धारित करें।
- पूरी करने का समय: प्रत्येक पाठ के लिए समय अनुमानित करें जिसमें आप उसे पूरा कर सकें।
- अध्ययन की संयमितता: योजना के अनुसार अध्ययन करने की संयमितता बनाए रखें और उसे बिना विलंब किए पूरा करने का प्रयास करें।
7. दैनिक पाठ योजना की विशेषताए
1. सबसे पहले तो पाठ योजना का लिखित होनी आवश्यक हैं।
2. पाठ योजना में सामान्य और विशेष उद्देश्य को स्पष्ट रूप से लिखना चाहिए।
3. इसमें पाठ्य-वस्तु एवं अन्य क्रियाओं के चयन तथा संगठन का समुचित प्रबन्ध होना चाहिए।
4. पाठ योजना उत्तम/अच्छी शिक्षण विधियों पर आधारित होनी चाहिए।
5. पाठ योजना में प्रसंग एवं पाठ्यक्रम लिखे होने चाहिए।
6. यह पूर्व पाठ से नवीन पाठ को संबोधित करे।
7. इसमें बालक को अच्छे कार्य देने की व्यवस्था हो।
8. पाठ योजना में व्यक्तिगत भेदों पर ध्यान रखने के लिए समुचित स्थान हो।
9. पाठ योजना में मूल प्रश्न सम्मिलित होने चाहिए।
10. पाठ योजना में विषय, समय, कक्षा, विद्यार्थियों के औसत आदि भी लिखे होने चाहिए।
11. पाठ योजना में सम्पूर्ण पाठ की रूप रेखा या सारांश हो।
12. पाठ योजना में महत्वपूर्ण उदाहरण निहित हों।
13. पाठ योजना में प्रेरणादायक विधियों का प्रयोग किया जाना चाहिए।
14. पाठ योजना में इस बात पर ध्यान दिया जाए कि तात्कालिक पक्ष आगामी परिस्थिति में प्रविष्टि हो जाए।
15. पाठ योजना में प्रत्येक सोपान के लिए समय निर्धारित हो।
16. पाठ योजना में स्वयं की आलोचना के लिए व्यवस्था हो। जब योजना पूर्ण हो जाए तो शिक्षक को चाहिए कि इसकी आलोचना करके सुधार लाने वाली बातों को लिख दे।
17. पाठ योजना में शिक्षा के उपकरणों तथा सहायक सामग्रियों, जैसे– यंत्रों, चार्टों, खाके, मानचित्र, फिल्म तथा अन्य दृश्य-श्रव्य सामग्री तथा उनके उपयोग करने के संबंध में उल्लेख होना चाहिए।
18. पाठ योजना में परीक्षात्मक अभ्याओं की भी व्यवस्था होनी चाहिए।
19. पाठ योजना के पुनर्निर्माण की भी व्यवस्था होनी चाहिए।
20. पाठ योजना सुन्दर तथा स्पष्ट रूप से लिखी होनी चाहिए।
- यह भी पढ़ें; 1. दैनिक पाठ योजना का अर्थ या परिभाषा
- यह भी पढ़ें; 2.दैनिक पाठ योजना का उद्देश्य
- यह भी पढ़ें; 3. दैनिक पाठ योजना की उपयोगिता
- यह भी पढ़ें; 4. दैनिक पाठ योजना का महत्व
- यह भी पढ़ें; 5. दैनिक पाठ योजना की आवश्यकता
8. दैनिक पाठ योजना के सोपान
पाठ-योजना के व्यवस्थित निर्माण के लिये उसे कई सोपिनों में विभाजित किया जाता हैं। शिक्षा शास्त्री हर्बट ने पाठ-योजना के निम्नलिखित 5 सोपानों का वर्णन किया हैं–
1. भूमिका
इसमें छात्रों को नये पाठ के लिए तैयार करना होता है। इसमें छात्रों को नया ज्ञान प्राप्त करने के लिए अनुप्रेरित किया जाता हैं। पूर्व ज्ञान-परीक्षण के लिये शिक्षक छात्रों से केवल तीन या चार प्रश्न पूछता हैं। इस सोपान का प्रयोजन प्रमुख रूप से छात्रों में नये ज्ञान के प्रति रुचि एवं जिज्ञासा उत्पन्न करना हैं।
2. प्रस्तुतीकरण
इस सोपान में छात्रों को नया ज्ञान ग्रहण करने के लिए पर्याप्त मानसिक क्रिया करनी होती है। इसलिए शिक्षक को विषय सामग्री इस प्रकार से प्रस्तुत करनी चाहिए कि छात्र उसे आसानी एवं सहजता से ग्रहण कर सकें। इसके लिये विषय सामग्री को क्रमानुसार दो या तीन इकाई में बाँटना तथा उसकी प्रस्तुतीकरण के लिए उचित शिक्षण विधि का प्रयोग करना चाहिए।
3. तुलना या संबंध का निर्धारण
इस सोपान में नवीन ज्ञान तथा पूर्वज्ञान की तुलना करके दोनों में संबंध स्थापित करना होता है। इससे उनके ज्ञान में वृद्धि होती है तथा नये ज्ञान को आत्मसात करना उनके लिये आसान हो जाता है। वस्तुतः यह सोपान रचनात्मक प्रक्रिया का सोपान है जिसमें छात्रों के चिंतन को प्रेरणा मिलती है तथा उनमें खोजने की प्रवृत्ति जाग्रत होती हैं। अतः इस सोपान का आयोजन इस प्रकार किया जाना चाहिए कि छात्रों को चिंतन एवं खोज का पर्याप्त सुअवसर प्राप्त हो सके।
4. प्रयोग
इस सोपान में छात्रों को नये ज्ञान के प्रयोग का अवसर दिया जाता हैं। इस प्रकार इस सोपान का प्रयोजन छात्रों को नये ज्ञान के प्रयोग करने के लिये योग्य बनाना हैं, क्योंकि प्रयोग करने से प्राप्त ज्ञान मस्तिष्क में पर्याप्त रूप से अंकित हो जाता हैं।
5. पुनरावृत्ति
इस सोपान में सम्पूर्ण पाठ की संक्षिप्त रूप से पुनरावृत्ति की जाती है। पुनरावृत्ति के लिए छात्रों से सहयोग लेना चाहिए अर्थात् प्रश्नोत्तर के माध्यम से या कोई प्रयोगात्मक कार्य कराके या लेखन कार्य के माध्यम से संपूर्ण पाठ की पुनरावृत्ति करानी चाहिए।
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