पॉलीग्राफ मशीन क्या है?
पॉलीग्राफ मशीन, जिसे आमतौर पर लाई डिटेक्टर कहा जाता है, एक ऐसी डिवाइस है जो इंसान के शारीरिक प्रतिक्रियाओं को मापती है। इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति के झूठ बोलने या सच बोलने का पता लगाना है। यह मशीन सीधे झूठ नहीं पकड़ती, बल्कि तनाव या चिंता के संकेतों को रिकॉर्ड करती है, जो झूठ बोलने के दौरान शरीर में हो सकते हैं।
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पॉलीग्राफ मशीन कैसे काम करती है?
पॉलीग्राफ मशीन विभिन्न शारीरिक गतिविधियों को रिकॉर्ड करती है:
1. सांस की गति (Respiration): छाती के चारों ओर लगाए गए सेंसर के जरिए सांस लेने के पैटर्न को मापा जाता है।
2. दिल की धड़कन और रक्तचाप (Heart Rate and Blood Pressure): रक्तचाप यंत्र के जरिए मापा जाता है।
3. त्वचा की प्रतिक्रिया (Galvanic Skin Response): त्वचा पर पसीने की वजह से विद्युत प्रवाह में बदलाव को रिकॉर्ड किया जाता है।
4. शारीरिक हरकत (Body Movements): झूठ बोलने या नर्वस होने पर किसी प्रकार की हरकत का पता लगाया जाता है।
परीक्षक (Examiner) पहले सामान्य प्रश्न पूछकर एक आधारभूत स्तर (Baseline) तय करता है। इसके बाद, महत्वपूर्ण और नियंत्रित सवाल पूछे जाते हैं। अगर महत्वपूर्ण सवालों पर प्रतिक्रिया बदलती है, तो यह झूठ का संकेत हो सकता है।
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पॉलीग्राफ का उपयोग कहां होता है?
1. कानूनी जांच (Law Enforcement): अपराध की जांच में।
2. नौकरी में चयन (Employment Screening): खासतौर पर सरकारी और सुरक्षा से जुड़े क्षेत्रों में।
3. शोध कार्य (Research): मनोविज्ञान और व्यवहार अध्ययन में।
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पॉलीग्राफ मशीन की सीमाएं
1. सटीकता पर सवाल: कई शोधकर्ताओं के अनुसार, इसकी सटीकता केवल 70% से 90% के बीच होती है।
2. गलत परिणाम (False Positives/Negatives): घबराया हुआ व्यक्ति झूठा लग सकता है, जबकि एक प्रशिक्षित झूठा व्यक्ति सच बोलने जैसा दिख सकता है।
3. कानूनी मान्यता: कई देशों में इसे अदालत में सबूत के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता।
निष्कर्ष
पॉलीग्राफ मशीन झूठ पकड़ने का एक उपयोगी उपकरण हो सकता है, लेकिन इसे पूरी तरह से भरोसेमंद नहीं माना जा सकता। इसे केवल एक सहायक उपकरण के रूप में उपयोग किया जाना चाहिए।
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