padma shri award 2025 rajasthan

padma shri award 2025 rajasthan

राजस्थान के तीन रत्नों को 2025 में पद्म श्री सम्मान से नवाजा गया: बतूल बेगम, बैजनाथ महाराज, और शीन काफ निजाम


साल 2025 में राजस्थान की तीन असाधारण हस्तियों को देश के प्रतिष्ठित पद्म श्री सम्मान से नवाजा गया है. ये सम्मान प्राप्त करने वाले हैं लोकगायिका बतूल बेगम, आध्यात्मिक गुरु बैजनाथ महाराज, और प्रसिद्ध लेखक शीन काफ निजाम. इन तीनों विभूतियों ने अपने-अपने क्षेत्रों में अद्भुत योगदान देकर राजस्थान का नाम रोशन किया है.


लोकगायिका बतूल बेगम: सांप्रदायिक सौहार्द की मधुर आवाज़
जयपुर की प्रसिद्ध लोकगायिका बेगम बतूल को उनके असाधारण कला प्रदर्शन और सांप्रदायिक सौहार्द के सशक्त संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया है. बेगम बतूल एक ऐसी अनूठी कलाकार हैं जो हिंदू भजन और मुस्लिम मांड दोनों में समान रूप से माहिर हैं. उनकी गायकी में एक ऐसा जादू है जो सीधे दिलों को छू जाता है. मुस्लिम होने के बावजूद, उनके द्वारा गाए गए हिंदू देवी-देवताओं के भजन सुनकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है. उनकी कला हमें यह सिखाती है कि संगीत की कोई सीमा नहीं होती और यह विभिन्न समुदायों को जोड़ने का सबसे सशक्त माध्यम है. उनका संगीत प्रेम, सहिष्णुता और एकता का प्रतीक है.
आध्यात्मिक गुरु बैजनाथ महाराज: ज्ञान और शांति के अग्रदूत
सीकर के लक्ष्मणगढ़ से संबंध रखने वाले आध्यात्मिक गुरु बैजनाथ महाराज को अध्यात्म के क्षेत्र में उनके गहन कार्य और अतुलनीय योगदान के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया है. श्रीनाथ जी आश्रम की गद्दी पर 1995 से विराजमान बैजनाथ महाराज ने आध्यात्मिक ज्ञान के प्रसार और समाज में शांति स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उनका जीवन और शिक्षाएं अनगिनत लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत रही हैं, जो उन्हें सही मार्ग पर चलने और आंतरिक शांति प्राप्त करने में मदद करती हैं. उन्होंने अध्यात्म को जन-जन तक पहुंचाने के लिए अथक प्रयास किए हैं.
प्रसिद्ध लेखक शीन काफ निजाम: शब्दों के जादूगर और उर्दू शायरी के स्तंभ
राजस्थान से पद्म श्री पाने वाले तीसरे शख्स हैं शीन काफ निजाम, जिनका मूल नाम शिव किशन बिस्सा है. जोधपुर के निवासी शीन काफ निजाम उर्दू साहित्य के एक बड़े और अत्यंत सम्मानित शायर हैं. उन्होंने शीन काफ निजाम के नाम से अपनी साहित्यिक पहचान बनाई और इसी नाम से उन्हें अपार प्रसिद्धि मिली. उन्हें 2010 में उनके कविता संग्रह “गुमशुदा दैर की गूंजती घंटियां” के लिए साहित्य अकादमी अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है. प्रसिद्ध गीतकार गुलजार ने एक बार उनके बारे में कहा था, “मैं अपनी गजलें शीन काफ निजाम को भेजता हूं. अपना लिखा उनसे एडिट करवाता हूं.” यह बात उनकी साहित्यिक क्षमता और भाषा पर उनकी असाधारण पकड़ को स्पष्ट रूप से दर्शाती है. उनकी रचनाएं उर्दू शायरी को एक नया आयाम देती हैं.
इन तीनों पद्म श्री प्राप्तकर्ताओं ने राजस्थान की समृद्ध संस्कृति और विरासत को वैश्विक मंच पर गौरवान्वित किया है. उनका सम्मान न केवल उनके व्यक्तिगत योगदान का प्रमाण है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो अपने जुनून और समर्पण से समाज में सकारात्मक बदलाव लाना चाहते हैं.

Scroll to Top